बढ़ती उम्र के साथ ही चेहरे पर झुर्रियां आना और त्वचा का ढीला पड़ना आम बात है। त्वचा ढीली पड़ने पर चेहरे की सुंदरता कम होने लगती है। ऐसे में महिलाएं स्किन को टाइट रखने के लिए कई तरह के उपाय अपनाती हैं। हालांकि कई बार सही जानकारी न होने पर लोग ऐसे टिप्स भी अपनाने लगते हैं, जिनके काफी ज्यादा साइड इफेक्ट्स होते हैं। तो वहीं बहुत सारे लोगों को लगता है कि स्किन टाइट रखने के लिए सर्जरी ही एकमात्र ऑप्शन है, जबकि ऐसा नहीं है।
बता दें कि त्वचा से फाइन लाइन्स को दूर रखने और स्किन को टाइट रखने के कई नॉन सर्जिकल ऑप्शन भी मौजूद हैं। इन ट्रीटमेंट्स की मदद से चेहरे की स्किन यंग नजर आने लगती है। ऐसे में अगर आप भी चाहती हैं कि स्किन टाइट लगे और आप लंबे समय तक यंग दिखती रहें, तो यह आर्टिकल आपके लिए है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको स्किन टाइट रखने के लिए कुछ नॉन-सर्जिकल उपायों के बारे में बता रहे हैं।
अल्ट्रासाउंड थेरेपी
अल्ट्रासाउंड थेरेपी स्किन की डीपर लेयर्स में किया जाता है। यह कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाता है और त्वचा को टाइट रखता है।
यह थेरेपी समय के साथ त्वचा को ढीली नहीं पड़ने देती है। त्वचा को टाइट रखने का यह नॉन-इनवेसिव ट्रीटमेंट काफी लोकप्रिय है।
रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट
स्किन की गहरी परतों में एनर्जी पहुंचाकर यह ट्रीटमेंट किया जाता है। बता दें कि यह ट्रीटमेंट कोलेजन के प्रोडक्शन और इलास्टिन को बढ़ाता है। वहीं थर्मेज का इस्तेमाल सैगिंग को कम करने और स्किन टेक्स्चर को सही करने के लिए किया जाता है।
यह ट्रीटमेंट उन लोगों के लिए अच्छा माना जाता है, जो बिना किसी सर्जरी के अपनी स्किन को टाइट करना चाहते हैं।
लेजर ट्रीटमेंट
फ्रैक्शनल लेजर थेरेपी भी कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाता है, जिससे स्किन टाइट होती है। इसमें CO2 और एर्बियम लेजर काफी पॉपुलर हैं। यह दोनों स्किन को टाइट रखने के अलावा अपियरेंस को भी ठीक करने में मदद करते हैं।
माइक्रोनीडलिंग
माइक्रोनीडलिंग में स्किन में छोटे-छोटे नीडल्स से माइक्रो-इंजरी की जाती है। इस प्रक्रिया से कोलेजन और इलास्टिन प्रोडक्शन बढ़ता है, जिसकी वजह से आपकी स्किन टाइट और स्मूद होती है। इसके साथ ही यह प्रोसेस सीरम के अवशोषण को बढ़ाता है और उसको अधिक प्रभावी बनाता है।
केमिकल पील
केमिकल पील त्वचा की बाहरी परत को एक्सफोलिएट करने के साथ टेक्चर में सुधार करता है, जिससे त्वचा टाइट होता है। इसमें लाइट पील से लेकर डीप पील तक का ऑप्शन उपलब्ध होता है। जहां लाइट पील स्किन को रिफ्रेश करता है, तो वहीं डीप पील स्किन की गहरी परतों पर बेहतर तरीके से काम करता है।
क्रायोलिपोलिसिस
यह आमतौर पर फैट को कम करता है। इसका ब्रांड नाम कूलस्कल्प्टिंग है। क्रायोलिपोलिसिस ट्रीटेड एरिया में स्किन को टाइट करता है। साथ ही प्रोसिजर फैट सेल्स को ठंडा करता है और फैट कम करके त्वचा को टाइट बनाता है।
क्रीम और सीरम
अगर आप अपने फेस पर दुनियाभर का ट्रीटमेंट नहीं करवाना चाहती हैं, तो आप स्किन पर क्रीम और सीरम का यूज कर सकती हैं। इसमें टिनॉइड्स, पेप्टाइड्स और ग्रोथ फैक्टर्स होते हैं। ऐसे में क्रीम और सीरम का लगातार इस्तेमाल करने से स्किन में कसाव आता है।
LED लाइट थेरेपी
LED लाइट थेरेपी का इस्तेमाल त्वचा में कोलेजन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसमें एक लेजर से विशेष प्रकार की रोशनी का उपयोग किया जाता है। इसकी मदद से स्किन टोन में सुधार आता है और चेहरे की महीन लकीरों को बी कम करने में सहायता मिलती है। साथ ही यह आपकी त्वचा को किसी भी तरह का नुकसान भी नहीं पहुंचाता है।