parenting tips: बच्चों की इस तरह करेंगे परवरिश तो बेहद अच्छी गुजरेगी आपके बच्चे की लाइफ

By Ek Baat Bata | May 03, 2024

बच्चे मन के सच्चे होते हैं, यह तो आप ने भी सुना होगा। क्योंकि बच्चे किसी के सामने कोई भी बात कह देते हैं। जिसके कारण कई बार लोग उनको बत्तमीज भी समझ लेते हैं। कई बार छोटी-छोटी बातों से बच्चों का कोमल मन चोटिल हो जाता है। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चों की बातों और बिहेवियर को इग्नोर नहीं करना चाहिए। क्योंकि हो सकता है उस दौरान आपके बच्चे को इमोशनल सपोर्ट की जरूरत हो। वहीं बच्चे अपने माता-पिता के बेहद करीब होते हैं और उनसे हर बात शेयर करते हैं। 

हालाँकि कई बार पेरेंट्स के करीब होने के बाद भी बच्चे अपने मन की बात सही से जाहिर नहीं कर पाते हैं। तब उनके व्यवहार में बदलाव आने लगता है। ऐसे में इस बदलाव को माता-पिता को इग्नोर नहीं करना चाहिए। बल्कि पेरेंट्स को बच्चे के साथ प्यार से बात करनी चाहिए और वजह जानने का प्रयास करना चाहिए। जिससे कि बच्चे को इमोशनल सपोर्ट मिले और बच्चों के बिहेवियर में कौन सा बदलाव आने पर ध्यान देना चाहिए।

मूड में अचानक बदलाव
अधिकतर लोग बच्चे का चीखना, चिल्लाना या फिर उदास होना इग्नोर कर देते हैं। क्योंकि पेरेंट्स सोचते हैं कि बच्चा कुछ देर बाद सही हो जाएगा। हालांकि इसको हमेशा इग्नोर करने की गलती नहीं करनी चाहिए। अगर आपको लगता है कि बच्चा छोटी-छोटी बातों पर रोने लगे, हर छोटी बात पर गुस्सा हो जाना और उदास हो जाए या फिर किसी बात को लेकर वह परेशान रहे या बदलते माहौल में वह खुद को ढाल नहीं पा रहा हो। तो पेरेंट्स को समझ जाना चाहिए कि बच्चे को इमोशनल सपोर्ट की जरूरत है।

कॉन्सन्ट्रेट न कर पाना
हर पेरेंट्स अपने बच्चे का स्वभाव जानते हैं। अगर आपको लगे कि बच्चा किसी चीज पर फोकस नहीं कर पा रहा है, जैसे- होवर्क, असाइनमेंट्स या फिर एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटी के दौरान स्ट्रगल करना और परफॉर्मेंस गिरना आदि चीजों को इग्नोर नहीं करना चाहिए।

स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव
बच्चा अगर रात को सही से सो नहीं पाता है और ये समस्या उसे लगातार हो रही है तो हो सकता है कि वो स्ट्रेसफुल महसूस कर रहा हो. बच्चे के स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव की वजह इमोशनली लो फील होने की वजह से हो सकती है.

अकेले रहना पसंद करे
अधिकतर छोटे बच्चे बेहद जल्दी घुलमिल जाते हैं, तो वहीं कुछ बच्चे इंट्रोवर्ट होते हैं। लेकिन अचानक से यदि बच्चा स्कूल जाना अवॉइड करे, दोस्तों या फिर अपने लोगों से भी मिलने से कतराने लगे और अकेले रहना पसंद करे। तो हो सकता है कि बच्चे के मन में किसी तरह का डर बैठ गया है। ऐसे में बच्चे से पेरेंट्स को खुलकर बात करना चाहिए।

बच्चे की हेल्थ में बदलावों पर दें ध्यान
यदि आपको अपने बच्चे में आए दिन सिर दर्द, पेट दर्द और मांसपेशियों में तनाव जैसे लक्षण दिखते हैं, तो इसको सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य समस्या की तरह नहीं लेना चाहिए। बल्कि बच्चे के व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए। अगर बच्चे में स्ट्रेस या फिर एग्जायटी व गुस्से जैसे लक्षण तो नहीं हैं। इसके साथ ही बच्चे की ईटिंग हैबिट्स में बदलाव, वेट कम होना या फिर ज्यादा होना आदि चीजों को भी इग्नोर नहीं करना चाहिए।