आज के समय में बच्चों का जीवन चार दीवारी में बंद हो गया है जिसकी वजह से उनके अंदर गुस्सा और चिड़चिड़ाहट बहुत ही जल्दी बनना शुरू हो जाती है। आज के दौर के बच्चों के लिए गुस्सा और चिड़चिड़ापन कोई नई बात नहीं है। यह आज की पीढ़ी के लिए बहुत ही ज्यादा आम बात हो गई है। बच्चों के गुस्से की एक वजह माँ-बाप का कम समय देना भी है। आज के समय मां-बाप बहुत ही ज्यादा काम में व्यस्त हो जाते हैं जिसकी वजह से बच्चों को वह उपयुक्त समय नहीं दे पाते। इसीलिए बच्चों के अंदर चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ता जाता है क्योंकि उनके मन की बात कोई भी सुनने या समझने के लिए नहीं होता। जिसकी वजह से उनके मन की भावनाएं कोई समझता नहीं है और इसी वजह से उनके अंदर की बात गुस्से के रूप में बाहर निकल के आती है। लेकिन छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना बच्चों की सेहत और मानसिक विकास के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। बहुत कम लोगों को पता है कि खुद एक तरह का भाग होता है जोकि व्यक्ति के अंतर्गत रहता है यह बच्चे के मानसिक विकास के ऊपर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव डालता है। जिसके कारण अपराध बोध, आक्रोष, ईर्ष्या आदि बहुत कुछ शामिल होता है क्योंकि गुस्सा आने की वजह से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक सोच बिल्कुल खत्म हो जाती है।
एक शोध के अनुसार गुस्से को यकृत से जोड़ा गया है। ज्यदातर लोगों को लिवर की बीमारी की गुस्से वजह से भी होती है। जब लिवर में बीमारी होती है तो उत्तेजित और चिड़चिड़े स्वभाव हो जाता है। लेकिन आज के बदलते समय में नकारात्मक भाव का असर कुछ बहुत ज्यादा दिखाई देने लगा है। गुस्से के कारण व्यक्ति अपनी सहनशीलता और समझदारी बिल्कुल खो देता है। उसके सोचने की शक्ति बिल्कुल कम हो जाती है जिसकी वजह से वह जल्दी बाजी में गलत और असहज फैसले लेता है। कई बार तो लोग गुस्से में गलत काम भी कर बैठते हैं और जब उन्हें एहसास होता है तो उसके पास पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता। मुंबई के हीरानंदानी अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डा. हरीश शेट्टी कहते हैं कि आजकल गुस्से की परिभाषा बदल चुकी है। आज के बच्चे नौर्मल तरीके से अपने माता पिता से ऐसे बातचीत करते हैं जैसे गुस्से में हों जबकि ऐसा होता नहीं। आज हम आपको बताएंगे कि आप किस तरह से अपने बच्चों के गुस्से पर काबू कर सकते हैं या उनके गुस्से को कम करने के लिए उनकी मदद कर सकते हैं।
1.बदलते समय का दौर
आज के समय में बच्चों के ऊपर पढ़ाई और अन्य चीजों का प्रेशर बहुत ज्यादा होता है जैसे कि स्कूल जाना, ट्यूशन पढ़ना, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में भाग लेना यह सभी चीजें उनके ऊपर एक प्रेशर के तौर पर बन गई है। जिसकी वजह से उनकी नींद सही तरह से पूरी नहीं होती और नींद पूरी ना होने के कारण ही उनके अंदर चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ता जाता है साथ ही ज्यादा व्यस्त होने की वजह से वह सही समय पर खाना भी नहीं खा पाते एक यह भी कारण है जिसकी वजह से बच्चों के अंदर गुस्सा बढ़ना शुरू हो जाता है। कम खाना खाने के कारण शुगर का लेवल शरीर के अंदर काफी कम हो जाता है जिसकी वजह से व्यक्ति को गुस्सा आना शुरू होने लगता है। कम खाना, कम नींद की वजह से बच्चे अच्छी तरह से पढ़ाई भी नहीं कर पाते। जिसकी वजह से यह रूखे रूखे रहने लगते है साथ ही अपनी बात कहने के लिए काफी उत्तेजित हो जाते हैं। बच्चों में गुस्सा होने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन माता-पिता का कर्तव्य बनता है की वे अपने बच्चों के इस स्थिति में सहायता करें और गुस्से को नियंत्रण करने के लिए उनकी मदद करें। मां बाप अपने बच्चे की मानसिक स्थिति को समझे, बच्चे पर गुस्सा होने की वजह उसका साथ दें।
2.अपने आप को शांत रखे
जब भी बच्चा घर में किसी भी तरह की गलत हरकत करता है तो मां-बाप बहुत ही जल्दी संयम खो बैठते हैं और जल्दी बाजी में अपने बच्चे के ऊपर गुस्सा करना शुरू कर देते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा गुस्सा ना करें या इस परिस्थिति से निकल जाए तो सबसे पहले आपको खुद को शांत रखना सीखना होगा। आप खुद शांत रहेंगे तो आपके बच्चे का मन अपने आप ही शांत होना शुरू हो जाएगा।यदि आपका बच्चा कभी भी गुस्सा करे तो आप उसके साथ बिल्कुल भी गुस्सा ना करें साथ ही अपने आप को शांत रखने की हर तरह की कोशिश करें। यदि आप खुद छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगेंगे तो आम बात है कि बच्चा आपसे ही सीखेगा और वह खुद ही गुस्सा करना सीख जाएगा। यदि आप खुद को शांत रहकर अपने बच्चे को समझाएंगे तो उसके अंदर सहनशीलता ज्यादा बढ़ेगी।बढ़ेगी।
3.आप बच्चों से मारपीट न करें
यदि आपका बच्चा किसी भी तरह की गलती करता है या ज्यादा गुस्सा करता है तो आप उसके साथ मारपीट बिल्कुल भी ना करें साथ ही ध्यान रखें कि आप उसके साथ किसी भी तरह की गाली गलौज भी ना करें। यदि आप इस तरह का व्यवहार उसके साथ अपनाएंगे तो जाहिर सी बात है कि वह दोबारा से गलत काम करेगा या अपना गुस्सा और ज्यादा बढ़ाता जाएगा। जब भी आपका बच्चा किसी भी तरह की गलती करता है तो उसे आराम से प्यार से समझाएं ना कि उसके साथ हिंसक रूप अपनाएं। ज्यादातर मां बाप अपने बच्चे को कंट्रोल करने के लिए हिंसक रुख अपनाते हैं जो कि बाद में बहुत ही ज्यादा घातक साबित होता है। बच्चे सुधारने की वजह और ज्यादा बिगड़ जाते हैं और आगे जाकर मां-बाप की एक भी नहीं सुनते साथ ही उनके व्यवहार में भी आक्रामकता आ जाती है और वह सुधरने की जगह, प्यार से बात करने की जगह और ज्यादा चिड़चिड़ा और गुस्सैल बन जाते हैं।
4.अपने बच्चे को अच्छा व्यवहार करना सिखाए
यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा समाज के लिए आपके लिए एक अच्छा व्यक्ति बने तो आप बचपन से ही उसके अंदर अच्छी आदतें डालना शुरू करें। यह आदतें उसके अंदर तभी आएंगी जब आप उनके साथ अच्छा व्यवहार करेंगे क्योंकि ज्यादातर बच्चों के रोल मॉडल उनके माता-पिता या घर वाले ही होते हैं। यदि आप अपने बच्चों के सामने बड़ों के साथ या छोटे से साथ जैसा भी व्यवहार करेंगे वह उसी तरह से ही सीखते जाएंगे। आप उन्हें बड़ों का आदर करना और छोटे से स्नेह करना और हमउम्र से दोस्ती करना सिखाए।
5.बच्चों के गुस्से का कारण जाने
यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का गुस्सा शांत हो जाए और चिड़चिड़ापन मिलकर खत्म हो जाए तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा। सबसे पहले आपको जाना पड़ेगा कि आखिरकार वह गुस्सा क्यों कर रहा है क्यों उसके अंदर इतना चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है, जब भी बच्चे गुस्सा करते हैं तो मां-बाप खुद भी दोगुना उन पर गुस्सा करने लगते हैं। लेकिन आप ऐसा ना कर के अपने बच्चे के गुस्से की वजह जानने की कोशिश करें कि आपका बच्चा किन कारणों की वजह से गुस्सा कर रहा है। सही वजह जानने के बाद बिगड़ी परिस्थिति को सही करने की कोशिश करें और अपने बच्चे का गुस्सा चिड़चिड़ापन खत्म करने का प्रयास करें।
6.गुस्सा आने पर बच्चों का ध्यान बांटे
जब भी आपका बच्चा गुस्सा करता है तो उसका ध्यान बांटने की कोशिश करें। हो सके तो आप उसे बाहर घुमाने ले जाए या किसी अन्य चीजों से उसका ध्यान गुस्से से हटाने का प्रयास करें। बाहर घुमाने से या गुस्से से ध्यान हटाने से उसके दिमाग में शांति जाएगी साथ ही माहौल बदलने से उसका गुस्सा पहले से ज्यादा शांत हो जाएगा। उसका ध्यान बांटने पर ना आपके बच्चे को गुस्सा आएगा और ना ही आपको आपके बच्चे पर गुस्सा आएगा।