पेरेंट्स बनना जितना ज्यादा अच्छा लगता है, उतना ही यह चुनौती वाला कार्य होता है। क्योंकि पेरेंट्स बनने पर कई जिम्मेदारियां कंधों पर आ जाती हैं। पेरेंट्स बनने पर आपको सख्ती और ममता का संतुलन बनाकर रखना होता है। यदि किसी भी माता-पिता से आप पूछते हैं कि उनको बच्चों के साथ डील करने में सबसे ज्यादा कब परेशानी हुई, तो अधिकतर पेरेंट्स का जवाब होगा कि जब उनके बच्चे किशोरावस्था में पहुंचे।
दरअसल, यह ऐसी उम्र होती है कि जब वह न तो बच्चे रहते हैं और न ही बड़े होते हैं। ऐसे में उनके लिए सही औऱ गलत की पहचान करना सबसे मुश्किल होता है। किशोरावस्था में बच्चों के अंदर कई बदलाव भी आते हैं, जिसमें शारीरिक और मानसिक बदलाव शामिल हैं। ऐसे में अगर बच्चे को सही पेरेंटिंग और गाइडेंस न मिले तो उनकी जिद विद्रोह में भी बदल सकती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि किशोरावस्था के दौरान पेरेंट्स को कैसे संभालना चाहिए।
खुद को ज्यादा न करें तैयार
पेरेंट्स सबसे बड़ी गलती तब करते हैं, जब वह खुद को जरूरत से ज्यादा उन चीजों के लिए तैयार करते हैं, जो अभी तक हुई नहीं है। ऐसे में आप इस स्थिति को अपने कंट्रोल में रखने का प्रयास करते हैं। वहीं बच्चे अपने माता-पिता के इस व्यवहार से चिड़चिड़े हो जाते हैं। वहीं पेरेंट्स दूसरों की कहानियां सुनकर अपने बच्चे के साथ भी वैसा ही बर्ताव करने लगते हैं। इससे बच्चे की परेशानी बढ़ सकती है। इस बर्ताव से बच्चों के साथ सख्त होने पर उन पर गलत प्रभाव पड़ता है और उनमें विद्रोह की भावना जन्म ले सकती है।
हर बात को न करें नापसंद
किशोरावस्था एक कठिन उम्र होती है, इस दौरान बच्चा हर चीज को लेकर कंफ्यूज रहता है। या फिर वह हद से ज्यादा कॉन्फिडेंट रहता है। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे का सबसे बड़ा चियरलीडर बनना चाहिए। न कि उनको नीचा दिखाना चाहिए। कई बार बच्चे ट्रेंड के साथ चलने या फिर दोस्तों से इंफ्लूएंस में अजीबो-गरीब चीजें करने लगते हैं। इस दौरान बच्चों को किशोरावस्था में पेरेंट्स को अच्छे और खराब का फर्क समझदारी से समझाना चाहिए।
जबरदस्ती न मनवाएं बात
बच्चों के लिए किशोरावस्था एक ऐसा पड़ाव है, जहां पर बच्चे वही काम करते हैं, जो करने के लिए उनको मना किया जाता है। किशोरावस्था में बच्चे को सिर्फ आजादी चाहिए और यदि आजादी व नियंत्रण के बीच संतुलन न किया जाए, तो परिवार का माहौल खराब होता है और बच्चे की जिद बढ़ती जाती है। बच्चे को पार्टी में लेकर जाने से मनपसंद ड्रेस पहनने से लेकर हर चीज तक को बैलेंस करने की जरूरत होती है। इसलिए प्रयास करें कि आप उनको ऑर्डर देने की बजाय उनको अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को समझें।