Parenting Tips: इस उम्र के बच्चे को पेरेंट्स जरूर सिखाएं ये बातें, ब्राइट होगा उनका फ्यूचर

By Ek Baat Bata | Oct 15, 2024

बच्चों की 13 से 16 साल की उम्र ऐसी होती है, जब बच्चे में शारीरिक विकास और मानसिक तौर पर कई बदलाव होते हैं। इस उम्र के बच्चे के इमोशन भी पीक पर होते हैं। फिर वह किसी चीज को जानने की उत्सुकता हो, खुशी या फिर गुस्सा। यह एक ऐसी उम्र होती है, जब बच्चों को सोच-समझकर हैंडल करना चाहिए। इस उम्र के बच्चे को यदि कुछ बातें सिखा दी जाएं, तो न सिर्फ उनका प्रजेंट बल्कि उनका फ्यूचर भी बेहतन बनता है।

भले ही स्कूल में बच्चे को कितनी ही अच्छी एजुकेशन दी जाती हो, या कितनी ही स्किल्स सिखाई जाती हों। लेकिन दुनिया को समझने का नजरिया, व्यवहार का तरीका और सही-गलत में फर्क करना जैसी चीजें उनको पेरेंट्स से बेहतर कोई नहीं सिखा सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि टीनएज में बच्चे को कौन-कौन सी बातें सिखाना जरूरी होता है।

लुक्स नहीं होता फर्स्ट प्रायोरिटी
जब बच्चे टीनएज में होते हैं, तो वह अपने लुक्स को लेकर काफी परेशान होते हैं। ऐसे में इस उम्र में बच्चों को यह समझाना जरूरी होता है कि वह अपने लुक्स का दूसरों से कंपेयर न करें। बल्कि इसके अलावा वह पढ़ाई और अन्य नई-नई स्किल्स पर फोकस करें।

दोस्त कम लेकिन संगति अच्छी हो
सही संगति बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए बहुत जरूरी होती है। इसलिए कम उम्र से ही बच्चे को यह सिखाना चाहिए कि भले ही उनके दोस्त कम हों, लेकिन ऐसे लोगों से दोस्ती हो, जिनकी संगति अच्छी हो, तो आपकी पढ़ाई और अन्य अच्छी एक्टिविटी में हेल्प कर सकें।

पियर प्रेशर में न आएं
बता दें कि हर उम्र के इंसान को प्रियर प्रेशर हो जाता है। वहीं टीनएज में बच्चे हर छोटी चीज के लिए काफी जल्दी परेशान हो जाते हैं। जैसे उनके दोस्त के पास महंगा फोन, जूते या कपड़े आदि हैं। ऐसे में यह पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को सिखाएं कि खुद की तुलना दूसरों से न करें। क्योंकि आप जैसे भी हैं और आपके पास जो भी चीजें हैं, वह आपके लिए बेस्ट हैं।

जिम्मेदारियां लेना सिखाएं
पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चे को कम उम्र से ही छोटी-छोटी जिम्मेदारियां दें। वहीं घर में लिए जाने वाले छोटे-छोटे फैसलों में बच्चे की भी राय लें। इससे बच्चे बच्चे फैसले लेने के लिए मजबूत होंगे और वह जिम्मेदार भी बनेंगे।

जरूर सिखाएं भावनाएं जाहिर करना
कई बार बच्चा कुछ ऐसे विषयों पर बात करते हैं, जिस पर समाज में कम बात होती है। ऐसे में पेरेंट्स उनको डांटकर चुप करा देते हैं। जिस कारण बच्चे अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं कर पाते हैं और धीरे-धीरे पेरेंट्स से बातों को छिपाने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों की बातों को गौर से सुनें और उन्हें प्यार से डिटेल में चीजें बताएं। इसस आपके बच्चे बातों और भावनाओं को आपसे शेयर करना सीखेंगे।