Single Parents: सिंगल पैरेंट को बच्चे की परवरिश करने में आती हैं कई समस्याएं, इन चीजों में हो जाते हैं कमजोर

By Ek Baat Bata | Aug 22, 2023

इस बात को आप भी अच्छे से समझते होंगे कि बच्चों को पालना आसान काम नहीं है। अगर बतौर पेरेंट्स अकेले ही बच्चे की परवरिश करनी पड़ती है। तो परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि सिंगल पेरेंट्स को बच्चे की परवरिश के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि सिंगल पैरेंट बच्चे के लिए माता-पिता दोनों की भूमिका निभाते हैं। इसलिए उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

अकेलापन
पार्टनर के साथ कई चीजें बहुत हद तक आसान हो जाती हैं। लेकिन जब सारे काम अकेले करने पड़ते हैं। तो कई बार अकेलापन घेरना शुरू कर देता है। सिंगल पैरेंटिग में आपके पास कोई भी ऐसा नहीं होता है। जिसका आप सहारा ले सकती हैं। साथ ही इमोशनल सपोर्ट भी नहीं होता है। ऐसे में अगर आप सिंगल पैरेंटिंग के दौरान ऐसा ही महसूस करते हैं। तो अपने निगेटिव विचारों को पॉजिटिव विचारों में बदलने का प्रयास करें। इससे न सिर्फ आपको बल्कि आपके बच्चे को भी फायदा भी होगा।

बच्‍चों को डिसिप्लिन सिखाना
बच्चे पिता के रहते हुए आसानी से अनुशासन सीख लेते हैं। लेकिन सिंगल मां के तौर पर यह काम थोड़ा सा मुश्किल होता है। कई बच्चे इमोशनल स्ट्रेस के कारण गलत रास्ते पर चल देते हैं। सिंगल पैरेंट के लिए उन्‍हें सुधारना या डिसिप्लिन सिखाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में अगर पॉसिबल हो तो को-पैरेंटिंग अपना सकते हैं। इससे आपका बोझ हल्का होने के साथ ही बच्चे को डिसिप्लिन सिखाना आसान हो जाएगा।

आत्‍मविश्‍वास में कमी
सिंगल पैरेंट के तौर पर कई बार सोसायटी के ताने भी सुनने पड़ते हैं। सोसायटी सिंगल पैरेंट को सपोर्ट करने के बजाय अलग ही नजरों से देखती है। ऐसे में बतौर सिंगल पैरेंट उनमें आत्मविश्वास की कमी आने लगती है। अगर आप भी यह चीजें फेस करते हैं, तो आप खुद को कुछ ऐसे एक्टिविटीज में व्यस्त रख सकते हैं, जो आपको अंदर से आत्मविश्वास प्रदान करें। आप उन लोगों के आसपास रहें, जो आप पर विश्वास करते हैं। साथ ही वह आपको बिना जज किए आपकी चीजों को समझते हैं।

आर्थिक बोझ होता है
सिंगल पैरेंट के तौर पर बच्चे की सारी जिम्मेदारियां अकेले निभानी होती हैं। ऐसे में आर्थिक बोझ का बढ़ना लाजिमी हो जाता है। घर के खर्चे, बच्चे की पढ़ाई के अलावा उसकी जरूरतों का खर्चा कई बार मानसिक तनाव का कारण बनता है। आर्थिक जिम्मेदारियों के बढ़ने पर फ्रस्टेशन होने लगता है। अगर आप भी इस समस्या से गुजर रहे हैं, तो बच्चे के साथ बैठकर आपको बजट बनाना चाहिए। बच्चे से बात कर यह तय करें कि आप किन लग्जरी चीजों को बजट से हटा सकते हैं। जिससे कि आपके ऊपर ज्यादा बोझ ना हो।