मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना सकता है, या सामान्य रूप से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर सकता है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) को शरीर की कोशिकाओं में ईंधन के रूप में उपयोग करने में मदद करता है। जब ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर सकता है, तो यह रक्त में बनता है। इससे हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) होता है। उच्च रक्त शर्करा पूरे शरीर में समस्याएं पैदा कर सकता है। यह रक्त वाहिकाओं और नसों के साथ-साथ आंखों, गुर्दे और हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। प्रारंभिक गर्भावस्था में, उच्च रक्त शर्करा एक बढ़ते बच्चे में जन्म दोष पैदा कर सकता है।
गर्भवती होने से पहले कुछ महिलाओं को मधुमेह होता है। इसे प्रीस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। अन्य महिलाओं को एक प्रकार का मधुमेह हो सकता है जो केवल गर्भावस्था में होता है, इसे गर्भावधि मधुमेह (गेस्टेशनल डायबिटीज) कहा जाता है। गर्भावस्था में एक महिला का शरीर ग्लूकोज का उपयोग कैसे करता है इसमें बदलवा आ सकता है।
गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा के जरिए गर्भ में पल रहे शिशु को पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलता है। प्लेसेंटा भी हार्मोन बनाती है। गर्भावस्था में, एस्ट्रोजन, कोर्टिसोल, और ह्यूमन प्लेसेंटल लैक्टोजन हॉर्मोन, इंसुलिन को अवरुद्ध कर सकते हैं। जब इंसुलिन अवरुद्ध होता है, तो इसे इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है। इस स्थिति में ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं में नहीं जा पाता है। ग्लूकोज रक्त में रह कर रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा देता है।
डॉक्टर्स के मुताबिक गर्भवस्था के दौरान डायबिटीज के कारण गर्भपात तक हो सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसी स्थिति में बच्चे का वजन बढ़ने लगता है और प्री-मैच्योर डिलीवरी का जोखिम भी बढ़ जाता है। वहीं, बच्चे का वजन सामान्य से ज्यादा होने के कारण सी-सेक्शन डिलीवरी की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके अलावा बच्चे के लिए जन्मजात विकृतियों की आशंका बढ़ जाती है। मां और बच्चे दोनों के लिए संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्भवस्था के दौरान डायबिटीज होने के कारण आपका बच्चा कम रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइकेमिया) के साथ पैदा हो सकता है, या आपके बच्चे को पीलिया हो सकता है।
हालंकि, ऐसा बिलकुल नहीं है कि यदि महिला को डायबिटीज है तो गर्भधारण नहीं कर सकती है या स्वस्थ शिशु को जन्म नहीं दे सकती है। सही खानपान और जीवनशैली में बदलाव और डॉक्टर की सलाह की मदद से प्रेगनेंसी में डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।