किसी भी महिला के लिए प्रेग्नेंसी उनके लिए सबसे स्पेशल जर्नी होती है। क्योंकि इस दौरान महिला को कई नए-नए एक्सपीरियंस होते हैं। वहीं 19वें सप्ताह की शुरूआत होते ही बेबी बंप नजर आने लगता है। गर्भ में पलने वाले बच्चे का वजन बढ़ने की वजह से महिला को अधिक समय तक खड़े रहने, बैठने और चलने में परेशानियां आती है। खासतौर पर उठने-बैठने में काफी तकलीफ होती है। ऐसे में जरा सी लापरवाही से मां और बच्चे दोनों की सेहत को खतरा हो सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनको आजमाकर आप आराम से उठ-बैठ सकती हैं।
कंफर्टेबल चेयर
प्रेग्नेंसी में बैक कंफर्टेबल रखने के लिए अच्छे सपोर्ट की आवश्यकता होती है। इसके लिए पीठ के निचले हिस्से को सपोर्ट देने वाली कुर्सी का इस्तेमाल कर सकती हैं। वहीं अपनी पीठ को एक्स्ट्रा सपोर्ट देने के लिए किसी छोटे तकिए या कुशन लगा सकती हैं। पैरों को लंबे समय तक नहीं लटकाना चाहिए, क्योंकि इससे पैरों में सूजन आ सकती है।
झुकने का तरीका
घर या ऑफिस में काम करने के दौरान बार-बार झुकने या उठने से पीठ पर हल्का दबाव महसूस होता है, तो अधिक जोर नहीं देना चाहिए। क्योंकि प्रेग्नेंसी हामोर्न रिलैक्सिन लिगामेंट्स और पेल्विस के जॉइंट को रिलैक्स करने में सहायता करता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में भारी चीजों को नहीं उठाना चाहिए। अगर आप ऐसा कुछ करती हैं, तो कमर की जगह घुटनों के बल झुकें।
धीरे उठें और धीरे बैठें
बता दें कि प्रेग्नेंसी में धीरे उठना और बैठना चाहिए। साथ ही अपने शरीर का बैलेंस बनाए रखें। अगर आपको तकलीफ हो रही है, तो किसी की मदद लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। इसलिए आप उठने-बैठने के दौरान कुर्सी या फिर मेज का सहारा ले सकती हैं।
रेस्ट करें और हेल्दी डाइट लें
प्रेग्नेंसी में आराम करना बहुत जरूरी होता है। आप शरीर को आराम देने के लिए एक आरामदायक कंडीशन में बैठ या लेट सकती हैं। ऐसे में अपना खानपान सही रखना भी जरूरी होता है। इससे आपके शरीर को मजबूती मिलती है और उठने-बैठने या फिर किसी अन्य काम में अधिक दिक्कतें नहीं आती हैं। इसलिए खाने में सब्जियां, साबुत अनाज, फल और लीन प्रोटीन आदि को शामिल करना चाहिए।
एक्सरसाइज जरूर करें
प्रेग्नेंसी में डॉक्टर की सलाह पर बताए गए एक्सरसाइज कर सकती हैं। इससे शरीर मजबूत होता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। एक्सरसाइज करने से प्रेग्नेंसी में उठने-बैठने में अधिक समस्याएं नहीं होती है और शरीर में कमजोरी नहीं आती है।