प्रेगनेंसी में खतरनाक है प्री-एक्लेमप्सिया, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

By Ek Baat Bata | Nov 11, 2021

प्रेगनेंसी तीसरे महीने के बाद गर्भवती महिला के ब्लड प्रेशर में बदलाव होना आम है। लेकिन यदि ब्लड प्रेशर अचानक से अधिक बढ़ना शुरू हो जाए तो यह प्री-एक्लेमप्सिया का लक्षण हो सकता है। प्री-एक्लेमप्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रेगनेंट महिला का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने लगता है और यूरिन में प्रोटीन की मात्रा अधिक बढ़ जाती है। इसमें गर्भनाल से शिशु को जाने वाले रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है और इसके कारण ही गर्भस्थ शिशु को ऑक्सीजन मिलने में कठिनाई उत्पन्न होती है। इसके साथ ही मां द्वारा मिलने वाले पोषक तत्व भी शिशु को मिलना बंद हो जाता है। परिणाम स्वरूप इस बीमारी से शिशुओं के विकास में बाधा व कठिनाई आती है। यह प्रेगनेंसी के 20वें हफ्ते के बाद प्रेगनेंट महिला को हो सकता है। यह एक गंभीर समस्या है और इससे एक गर्भवती महिला का लीवर और किडनी प्रभावित हो सकता है। कई बार प्रीएक्लेमप्सिया के कारण परेशानी को बढ़ने से रोकने के लिए डॉक्टर बच्चे की जल्द डिलीवरी करने की सलाह देते हैं।

प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण 
ब्लड प्रेशर का अचानक से बढ़ना
अचानक बहुत तेज सिर दर्द होना
हाथ पैरों में सूजन आना
पेट का अनियमित दर्द होना
उल्टी होना और जी खबराना
शारीरिक वजन का तेजी से बढ़ना
प्रीक्लेम्पसिया होने का कारण

गर्भवती महिला को प्रीक्लेम्पसिया होने के खतरा निम्न परिस्थितियों में ज़्यादा होता है -
यदि गर्भवती महिला को मधुमेह हो
महिला गर्भवती होने से पहले किडनी से रोग से पीड़ित हो
गर्भवती होने से पहले भी हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो
गर्भ में एक से अधिक शिशु हो
यदि गर्भवती महिला का वजन सामान्य से अधिक हो 
गर्भवती के दूसरे प्रसव में पहले प्रसव के बाद 10 वर्ष या अधिक का अंतर रहा हो
यदि गर्भवती महिला की आयु 20 वर्ष से कम या 40 वर्ष से अधिक हो 
गर्भवती महिला को रोग-प्रतिरोधक क्षमता संबंधी कोई रोग हो

प्रीक्लेम्पसिया के स्टेज
माइल्ड प्रीक्लेम्पसिया
यदि गर्भवती महिला का सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर 140 या उससे अधिक हो और डायस्टोलिक ब्लडप्रेशर 90 या उससे अधिक तो तो इसे माइल्ड प्रिक्लेम्पसिया कहते हैं। 

इंटेंस प्रीक्लेम्पसिया  
यदि गर्भवती महिला का सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर 160 या उससे अधिक हो और डायस्टोलिक ब्लडप्रेशर 110 या उससे अधिक हो तो इसे इंटेंस प्रिक्लेम्पसिया कहते हैं। 

कैसे करें बचाव 
प्रेगनेंसी में स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार लें और नियमित रूप से योग-व्यायाम करें। 
अगर पहले से ही डायबिटीज़, हाई ब्लडप्रेशर और माइग्रेन हो तो दवाओं द्वारा ऐसी समस्याओं को नियंत्रित करें। 
प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही नियमित रूप से ब्लडप्रेशर की जांच करवाएं। 
प्रेगनेंसी के 20 सप्ताह के बाद यूरिन की जांच ज़रूर करवाएं। 
नियमित जांच करवाएं और समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।