लड़कियों की शादी की उम्र और उनकी हेल्थ के बीच होता है ये कनेक्शन, पढ़ें पूरी खबर

By Ek Baat Bata | Aug 29, 2020

आज के समय में लड़कियाँ ना केवल लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं बल्कि उनसे आगे भी निकल रही हैं। पॉलिटिक्स, मेडिसिन, एजुकेशन, आर्मी, रिसर्च समेत हर क्षेत्र में लड़कियों ने अपना लोहा मनवाया है। लेकिन जहाँ एक तरफ समाज में लड़कियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की बात होती है वहीं दूसरी तरफ कम उम्र में उनकी शादी करवा कर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया जाता है। हालाँकि समय के साथ समाज में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं और अब लोग इस बात को लेकर जागरूक हो गए हैं लेकिन आज भी ज़्यादातर लड़कियों की शादी कम उम्र में ही करवा दी जाती है। देश के कानून के हिसाब से शादी के लिए लड़की की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए लेकिन आज भी कई जगहों पर उन्हें कच्ची उम्र में शादी के बंधन में बांध दिया जाता है। देश के कई पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अशिक्षा के कारण बाल-विवाह की खबरें सुनने को मिलती हैं। 

शादी की उम्र 18 साल होने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि लड़की 18 साल की पूरी होते ही उसके हाथ पीले करवा दिए जाएं। हर लड़की के कुछ ना कुछ सपने होते हैं। वो भी जिंदगी में नाम कामना चाहती है, अपनी अलग पहचान बनाना चाहती है। ऐसे में कम उम्र में ही शादी हो जाने से उसके ये सपने अधूरे ही रह जाते हैं। हर माँ-बाप के लिए ये समझना बहुत जरूरी है कि कम उम्र में बेटी की शादी करवा कर ना सिर्फ वे उसके भविष्य बल्कि उसके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं। लड़की की शादी कम उम्र में कर देने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत असर पड़ता है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि लड़की की शादी का उसके शारीरक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर होता है -  

पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती 
कम उम्र में शादी करने से लड़की को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है। अक्सर देखने-सुनने में आता है कि लड़की के दसवीं या बारहवीं पास करते ही उसकी शादी करवा दी जाती है। कई बार तो माँ-बाप लड़की की शादी करवाने के लिए उसकी पढ़ाई बीच में ही रुकवा देते हैं। कम उम्र में ही शादी करवाने से लड़की की पढ़ाई अधूरी रह जाती है और उसका करियर खत्म हो जाता है। पढ़ने और खेलने-कूदने के उम्र में शादी 

जिम्मेदारियों का बोझ 
कम उम्र में शादी होने के कारण लड़कियों को समय से पहले ही जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ता है। जल्दी शादी होने के कारण उन्हें छोटी उम्र में ही तमाम पारिवारिक और सामजिक जिम्मेदारियाँ पूरी करनी पड़ती है। हालांकि, शादी के बाद लड़के-लड़की दोनों को कई तरह की जिम्मेदारियाँ निभानी पड़ती हैं। लेकिन लड़कों के मुकाबले लड़कियों को शादी के बाद ज्यादा परेशानी होती है। अपना घर छोड़कर किसी दूसरे घर में जाना, वहाँ के माहौल में ढलना और सबको खुश रखना आसान नहीं होता। 

समझ कम होती है 
लड़कियों की शादी कम उम्र में होने के कारण उनमें उतनी समझ नहीं होती है। मैच्योरिटी लेवल कम होने के कारण उन्हें ससुराल की जिम्मेदारियां पूरी करने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा छोटी उम्र में लड़का-लड़की इतने समझदार नहीं होते हैं जिसकी वजह से उनके बीच ठीक से तालमेल नहीं बैठ पाता है। दोनों इतने मैच्योर नहीं होते हैं कि एक दूसरे को ठीक से समझ पाएँ और इस वजह से अक्सर उनमें लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं।

हेल्थ प्रॉब्लम 
कम उम्र में शादी हो जाने से लड़कियों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। जल्दी शादी होने से लड़कियाँ जल्दी माँ बन जाती हैं जिसकी वजह से वह खुद का और अपने बच्चे का ठीक तरह से ध्यान नहीं रख पाती हैं। इसके साथ ही जल्दी माँ बनने से लड़कियों में एनीमिया और हार्मोनल इम्बैलेंस जैसी बीमारियाँ होने के ज़्यादा चांसेज रहते हैं। लड़की की शादी कम उम्र में करने से ना सिर्फ उसके शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानिसक स्वास्थ पर भी प्रभाव होता है। जिन लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है वे अक्सर आगे चलकर तनाव, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का शिकार हो जाती हैं।