मासिक धर्म महिलाओं में होने वाली एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। मगर हमारे समाज में इसे लेकर कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। कुछ लोग इसे एक बीमारी की निगाह से देखते हैं और इस दौरान महिला को अपवित्र तक समझा जाता है। किशोरावस्था में बेटियां आज भी शर्म या संकोच के कारण इस विषय पर खुलकर बात करने में झिझक महसूस करती हैं। हालांकि शिक्षा के प्रसार के साथ समाज की पुरानी रूढ़िवादी सोच पर कुछ बदलाव तो आया है मगर फिर भी महिलाओं में इससे जुड़ी कुछ बातों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। इस प्रक्रिया को यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझा जाए तो काफी हद तक इन भ्रांतियों का निदान संभव है।
मासिक धर्म क्या है?
महिलाओं के शरीर में हार्मोन्स के स्तर में होने वाले चक्रीय बदलावों के कारण प्रत्येक महीने नियमित रूप से गर्भाशय से होने वाले रक्त और अंदरूनी परत के स्राव को मासिक धर्म कहते हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो स्त्री को गर्भधारण के योग्य बनाती है और प्रजनन के लिए आवश्यक है।
मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियां-
मासिक चक्र 28 दिन का होना चाहिए और रक्तस्राव की अवधि 5 दिन होनी चाहिए- सामान्यतः मासिक चक्र 28 से 30 दिन का होता है और रक्तस्राव की अवधि 3 से 5 दिन की होती है। परंतु यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। अलग-अलग स्त्रियों में उनकी शारीरिक संरचना, खानपान, जीवनशैली, एवं होर्मोन्स के स्तर के अनुसार यह भिन्न भी हो सकती है। इसलिए सामान्य मासिक चक्र की अवधि 20 से 35 दिन तक और रक्तस्राव की अवधि 2 से 7 दिन तक भी हो सकती है जो बिल्कुल नॉर्मल है।
व्यायाम नहीं करना चाहिए-
ज्यादातर महिलाएं इस दौरान कोई व्यायाम नहीं करतीं और रोजमर्रा के कामों से भी दर्द के कारण बचती हैं। जबकि हकीकत यह है कि इस दौरान हल्का व्यायाम करने और चलने फिरने से शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारू रूप से होता है जिससे पेट दर्द और ऐंठन में राहत मिलती है। इसलिए अपना नॉर्मल रूटीन बनाए रखना चाहिए।
बाल नहीं धोना, स्नान नहीं करना-
इसे लेकर महिलाओं में यह भ्रम रहता है कि इसमें रक्तस्राव कम हो जाता है। जबकि इन दिनों में शारीरिक स्वच्छता को लेकर और सजग रहना चाहिए अन्यथा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
रक्त स्राव का गंदा होना-
यह भी एक भ्रम है। मासिक के दौरान होने वाला रक्तस्राव भी सामान्य रक्त की तरह ही होता है। संक्रमण की स्थिति में उस से दुर्गंध आ सकती है। इसलिए 4 से 6 घंटे के नियमित अंतराल पर पैड बदलते रहना चाहिए।
अचार खराब होना-
मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं है कि स्त्री के अचार छूने पर उसके हाथों से कोई जीवाणु अचार में प्रवेश करके उसे खराब कर देगा। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
किचन में प्रवेश ना करना-
यहां भी खाना खराब होने को लेकर महिलाओं में भ्रम रहता है की इस दौरान वे अपवित्र हैं और इस कारण उनका भोजन सामग्री छूना वर्जित हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं है।
मंदिर ना जाना/ पूजा ना करना-
पुराने समय में ऐसा कहा जाता था कि अपवित्र स्त्री के छूने से भगवान भी अपवित्र हो जाएंगे और नाराज हो जाएंगे जबकि ईश्वर ने स्वयं ही स्त्री की शारीरिक संरचना इस तरह से की है कि वह एक सृजन का माध्यम है। ऐसे में भगवान उससे भला कैसे रुष्ट हो सकते हैं।
खट्टी एवं तली भुनी चीजें ना खाना-
इनका मासिक धर्म से कोई संबंध नहीं है। हां मगर परहेज करने से इस दौरान गैस बनने की समस्या से बचा जा सकता है।
तैराकी ना करना-
तैराकी एक सामान्य व्यायाम है और मासिक धर्म के दौरान भी की जा सकती है इस दौरान मेन्स्त्रुअल कप का प्रयोग करना ठीक रहता है।
सेक्स से बचना या दूर रहना-
कई महिलाओं में इसे लेकर भ्रांति है कि इससे दर्द/ रक्तस्राव ज्यादा होगा या पति को कोई नुकसान हो सकता है मगर ऐसा कुछ भी नहीं होता। इन दिनों में संभोग के दौरान प्रोटेक्शन का इस्तेमाल अवश्य करें क्योंकि ज्यादातर महिलाएं यह मानती हैं कि इन दिनों में सेक्स करने से गर्भधारण की संभावना नहीं होती जबकि यह पूरी तरह से सेफ नहीं है कुछ मामलों में गर्भधारण संभव है। प्रोटेक्शन से इंफेक्शन की भी संभावना नहीं रहती।
रक्तस्राव से कमजोरी आना-
कुछ महिलाएं इस दौरान थकान व कमजोरी महसूस करती हैं मगर यह रक्तस्राव की वजह से नहीं होती क्योंकि सामान्यतः मासिक धर्म में रक्तस्राव की मात्रा बहुत कम होती है। नियमित व्यायाम और आयरन युक्त आहार लेने से इसमें राहत मिलती है।
मासिक धर्म के दिनों में भी संतुलित आहार, बेहतर जीवन शैली, नियमित व्यायाम, और स्वच्छता पर ध्यान देकर सामान्य दिनों की तरह ही चुस्त-दुरुस्त रहा जा सकता है।
-डॉ रसना गुप्ता