जानिए पत्नी के प्रेग्नेंट होने पर पतियों को किन ख़ास लक्षणों की होती है अनुभूति जिसे कहते हैं कौवडे सिंड्रोम

By Ek Baat Bata | Jul 20, 2020

हर एक दंपत्ति के जीवन में मां-बाप बनने का वह पल सबसे खुशी उत्साह और सर्वोत्तम पलों में से एक माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान सिर्फ एक पत्नी ही नहीं होती जिससे परेशानियों और बदलाव के दौर से गुजरना होता है, बल्कि कुछ पुरुषों पर भी पत्नी के प्रेग्नेंसी का असर होता है।
 
प्रेग्नेंसी में स्वाभाविक रूप से महिलाएं उन सभी स्थितियों से गुजर रही ही होती है, जिसे हम प्रेग्नेंसी के अलग-अलग फेज के लक्षणों के रूप में देखते हैं। 

जैसे कि मिसिंग पीरियड्स, कब्ज, सिरदर्द, ऐंठन, पेट फूलना, सांस लेने में परेशानी, बेचैनी, खराब नींद और बहुत कुछ। लेकिन, बहुत से पुरुष इस दौरान पत्नी के साथ ही कई चीजों को अनुभव कर रहे होते हैं, जिसका उनके शरीर पर भी असर नजर आता है।
 
पुरुषों में इन खास तरह के बदलावों को कौवडे सिंड्रोम कहते हैं। ये वो स्थिति है, जिसमें एक पुरुष एक समान माँ के रूप में कुछ समान लक्षण और व्यवहार का अनुभव करता है। इस सिंड्रोम के कुछ विशेष लक्षणों में शामिल है- वजन बढ़ना, हार्मोन के स्तर में लगातार बदलाव आना और खराब नींद के चलते तनाव महसूस करना।

क्या है कौवडे सिंड्रोम?
कौवडे सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें एक स्वस्थ पुरुष (जिनकी पत्नी प्रेग्नेंसी के दौर से गुजर रही होती है) वह भी गर्भावस्था से संबंधित लक्षणों को अनुभव करते हैं। आपको सुनने में यह थोड़ा अटपटा लग रहा होगा लेकिन कुछ पुरुषों में इस स्थिति को देखा गया है, उन लक्षणों को देखा गया जो सिर्फ एक गर्भावस्था महिला में होते हैं। 

कुछ शोधों से पता चलता है कि कौवडे कोई मनोवैज्ञानिक बीमारी या मानसिक बीमारी नहीं है। यह निर्धारित करने के लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता है कि क्या मनोवैज्ञानिक कारणों से कौवडे एक शारीरिक स्थिति है। इस सिंड्रोम में पुरुषों में कई तरह के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक बदलाव/लक्षण देखने को मिलते हैं
जैसे :

- शारीरिक लक्षण- इन लक्षणों में मतली, नाराज़गी, पेट में दर्द, सूजन, भूख में बदलाव, श्वसन समस्याएं, दांत, पैर में ऐंठन, पीठ में दर्द और मूत्र या जननांग जलन शामिल हो सकते हैं।
- मनोवैज्ञानिक लक्षण- इन लक्षणों में नींद के पैटर्न में बदलाव, चिंता, अवसाद, कामेच्छा में कमी और बेचैनी शामिल हो सकते हैं।

आईए जानते हैं कौवडे सिंड्रोम के पीछे के कारण

1. ईर्ष्या महसूस करना
गर्भधारण करने में असमर्थता के बारे में किसी व्यक्ति की ईर्ष्या हो सकती है। उसे लग सकता है कि उसकी पत्नी माँ बन सकती है पर वह क्यों ये सब नहीं कर सकता है। इस दौरान मन में कई सारे सवाल उठते हैं, जो व्यक्ति को रह-रह कर परेशान कर सकते हैं।

2. अपराधबोध महसूस करना
एक पिता भी अपने गर्भवती साथी के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव के लिए खुद को दोषी और जिम्मेदार महसूस कर सकता है। कौवडे सिंड्रोम की अभिव्यक्तियों में यह एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। आपके साथी की परेशानी आपको परेशान कर सकती है। आपको लग सकता है कि आप उनके लिए क्यों कुछ नहीं कर पा रहे हैं। वहाँ धीरे-धीरे ये बात बढ़ते हुए महीने के साथ और बढ़ सकती है।

3. हार्मोन के स्तर में परिवर्तन
कौवडे सिंड्रोम भी पुरुषों में हार्मोन के उतार-चढ़ाव के साथ कुछ संबंध रखता है, जिसमें उनके साथी की गर्भावस्था अवधि के दौरान अनिश्चित टेस्टोस्टेरोन का स्तर शामिल है। इस दौरान पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का लेवल घटता-बढ़ता रह सकता है। इसलिए पुरुषों को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

कौवडे सिंड्रोम से कैसे पाएं छुटकारा
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, कौवडे-संबंधी लक्षण ज्यादातर पीड़ित अवस्था अवसाद के समान होते हैं। इसलिए, उनके लिए अपने अनुभवों को एक दूसरे के साथ साझा करना चाहिए ताकि चीजें और आसान हो सकें।
 
अपनी पत्नी के साथ खुल कर बातचीत करने से व्यक्ति को कौवडे के लक्षणों से निपटने में मदद मिल सकती है। यही बात महिलाओं पर भी लागू होती है। साथ ही सही खान-पान और संतुलित जीवन जीना भी पुरुषों को इस कौवडे से छुटकारा पाने में मददगार साबित हो सकता है।