माहवारी सम्बन्धी कुछ सामान्य समस्याएँ

By Ek Baat Bata | Oct 01, 2019

मासिक धर्म, जिसे आमतौर पर माहवारी, मासिक, महीना, पीरियड्स, या मेंसेस के नाम से जाना जाता है महिलाओं के लिए कोई समस्या नहीं अपितु प्रकृति द्वारा प्रदत्त वह अनमोल उपहार है जो उनके शरीर को प्रत्येक माह गर्भधारण के लिए तैयार करता है और मातृत्व सुख के लिए आवश्यक है। परंतु कभी-कभी कुछ कारणों से महिलाओं को मासिक संबंधी कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है जैसे- पी.एम.एस., पीड़ादाई  पीरियड्स, अनियमित पीरियड्स या असामान्य रक्तस्राव आदि।

1) पी.एम.एस./ प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम- 

माहवारी शुरू होने के लगभग 5 से 10 दिन पहले महिलाओं में इसके संकेत मिलना शुरू हो जाते हैं जिनकी तीव्रता का स्तर हर महिला में भिन्न हो सकता है। सामान्यतः इसमें पेट दर्द, मरोड़, पीठ दर्द, सिर दर्द, पैरों में सूजन, स्तनों में दर्द व सूजन जैसे लक्षण दिखाई देना आम बात है। मगर कुछ महिलाओं में शारीरिक. मानसिक व भावनात्मक लक्षणों की तीव्रता अधिक होने पर उन्हें समस्या आ सकती है।

लक्षण-  दस्त, उल्टी, जी मिचलाना, चक्कर, थकान, मुहासे आदि समस्या आ सकती है। भावनात्मक लक्षणों जैसे मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, उदासी, नींद ना आना, चिंता, अवसाद या याददाश्त कमजोर होना जैसे लक्षणों की अधिकता होने पर इसे प्रीमेंस्ट्रूअल डिसफ़ोरिक डिसऑर्डर कहते हैं।

कारण-   पी.एम.एस. का कोई ठोस कारण ज्ञात नहीं है। प्रायः इसे हार्मोन के स्तर में बदलाव से जोड़कर देखते हैं। भावनात्मक लक्षणों के लिए भी इस दौरान सिरेटोनिन नामक (मूड कंट्रोलर) हार्मोन के स्तर में कमी को जिम्मेदार माना जाता है।

घरेलू उपचार-  कुछ सामान्य उपाय अपनाकर पीएम की तीव्रता को कम किया जा सकता है।  जैसे-

चिकित्सीय सलाह- जब लक्षणों की तीव्रता इतनी अधिक हो कि आपके रोजमर्रा के कामों में बाधक हो तब किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श लेकर दवाइयां लेना उचित है।

2) पीड़ादायी माहवारी-

लक्षण- माहवारी आने से कुछ दिन पहले से या ठीक पहले या माहवारी के दौरान महिला के उदर के निचले हिस्से में ऐठन भरी पीड़ा होती है जो बहुत तेज भी हो सकती है या सामान्य चुभन वाली पीड़ा भी हो सकती है। यह दर्द आता जाता रहता है और रक्तस्राव कम होने पर स्वतः ही चला जाता है कभी-कभी महिला को पीठ दर्द या जांघों में दर्द भी महसूस हो सकता है।

कारण-

प्राथमिक कारण- जो पीड़ादायक माहवारी किसी बीमारी से संबंधित मा होकर अन्य कारणों से होती है। जैसे-

सेकेंडरी कारण-  जब  पीड़ादायी माहवारी अंडाशय या गर्भाशय की किसी बीमारी के कारण होती है जैसे- फाइब्रॉयड, एंडोमेट्रियोसिस, एडिनोमायोसिस, श्रोणि सूजन बीमारी, ओवेरियन सिस्ट आदि।

घरेलू उपचार- कुछ साधारण से घरेलू उपायों द्वारा दर्द की तीव्रता को कम किया जा सकता है-

चिकित्सीय परामर्श- यदि  दर्द की तीव्रता बहुत अधिक हो, ये आपके रोजमर्रा के कार्यों में बाधक हो, अचानक शुरू हुआ हो और 3 महीने से ज्यादा समय हो गया हो, माहवारी के कई दिन पहले शुरू हो जाए या माहवारी बंद होने के बाद भी होता रहे या फिर भारी रक्तस्राव के साथ तेज दर्द हो तो तुरंत किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श करें।

3) अनियमित माहवारी- 

महिलाओं में मासिक चक्र की शुरुआत सामान्यतः 10 से 15 वर्ष की आयु में होती है। और 45 से 55 वर्ष की  उम्र तक मासिक आना बंद हो जाता है (रजोनिवृत्ति)। सामान्य मासिक चक्र की अवधि लगभग 20 से 35 दिन होती है।

लक्षण- जब मासिक चक्र की अवधि 20 दिन से कम या 35 दिन से ज्यादा होती है और कभी कभी असामान्य रूप से लंबी होती है तो इसे अनियमित माहवारी कहते हैं।

कारण-

A) हार्मोन असंतुलन- इसके कई कारण हो सकते हैं-

B) गर्भाशय, जननांगों या श्रोणी की बीमारी-   इन अंगों की बीमारियां जैसे- किसी भी तरह का संक्रमण फाइब्रॉयड, पोलिप, एडिनोमायोसिस, एंडोमेट्रियोसिस, श्रोणि सूजन बीमारी या गर्भाशय ग्रीवा की सूजन भी अनियमित माहवारी का कारण होती है।

C) अन्य बीमारियां- मलेरिया, टाइफाइड, पीलिया, लीवर व किडनी की बीमारियों में भी अनियमित माहवारी हो सकती है।

घरेलू उपचार- जीवनशैली में परिवर्तन करके कुछ हद तक अनियमित पीरियड से बचा जा सकता है, जैसे-

चिकित्सीय परामर्श-  यदि अनियमितता 3 महीने से अधिक समय तक चले तो अनियमित माहवारी शरीर में हार्मोन असंतुलन या बीमारी है। अतः योग्य डॉक्टर की सलाह के उपरांत उचित दवाइयां लेना ही श्रेयस्कर है। यह दवाइयां हार्मोन थेरेपी के रूप में हो सकती हैं या फिर बीमारी के इलाज में कारगर दवाइयां। कुछ बीमारियों में सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

असामान्य रक्तस्राव- प्रत्येक मासिक धर्म में रक्तस्राव की सामान्य अवधि 3 से 5 दिन होती है होती है जो कभी-कभी 2 से 7 दिन तक भी जा सकती है। इस अवधि में लगभग 30-40ml रक्तस्राव होता है जो तकरीबन 8 पैड के प्रयोग के बराबर होता है। असामान्य रक्तस्राव कई प्रकार का हो सकता है-

A. पीरियड का आभाव या एमिनोरिया- इस अवस्था में पेरियद बिलकुल भी नहीं आता। 

B. यदि मासिकस्राव 2 दिन से कम अवधि का हो या सिर्फ धब्बे के रूप में हो तो इस अल्प स्राव की अवस्था को ओलिगोमैनोरिया कहते हैं।

C. जब रक्तस्राव 7 दिन से अधिक समय तक चले और 80ml से अधिक रक्तस्राव हो जो करीब 16 पैड सोखने के बराबर होता है, तब इस अवस्था को मेनोरेजिया कहते हैं। इसके अन्य लक्षण हैं-

D. पॉलीमैनोरिया- इसमें एक ही मासिक चक्र के  दौरान कई बार पीरियड आ जाता है।

E. मैट्रोरेजिया- इसमें एक मासिक चक्र के बीच में भी रक्तस्राव हो सकता है मगर वह पीरियड नहीं होता।

कारण- 

A. पीरियड का अभाव-

यदि 16 वर्ष की आयु तक माहवारी शुरू ना हो तो इसका प्राथमिक कारण मस्तिष्क की ग्रंथि के रोग, जननांगों का पूरी तरह विकसित ना होना, या योनि के प्रवेश द्वार की झिल्ली में रास्ते का ना होना होता है। यदि एक बार शुरू होकर बीच में कभी पीरियड बंद हो जाए तो ऐसा कई कारणों से होता है जैसे गर्भावस्था, स्तनपान, तनाव, अधिक व्यायाम, थकान, अनुचित खानपान, पी.सी.ओएस., थायराइड विकार आदि रजोनिवृत्ति के बाद यह पूरी तरह बंद हो जाते हैं।

B. माहवारी कम आना-

सामान्यतः ऐसा हार्मोन असंतुलन के कारण होता है जो उपरोक्त की भांति ही अत्यधिक तनाव, थकान, व्यायाम, अनुचित खानपान, दवाइयों, मोटापा थायरोइड विकार के कारण हो सकता है।

C. भारी  रक्तस्राव- 

चिकित्सीय परामर्श- निम्न परिस्थितियों में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज करवाएं-

जांच-

1. रक्त की जांच- 

2. पैप स्मीयर जांच- 

3. अल्ट्रासाउंड

उपचार