वास्तु शास्त्र में दिशाएं वैसे ही महत्वपूर्ण होती है जैसे योग और ध्यान में श्वास के प्रति जागृति। 'क्या मैं सही दिशा में हूं?' दिन में कितनी बार यह प्रश्न आप अपने आप से पूछते हैं- शायद कई बार। किस दिशा में क्या रखना चाहिए? उदाहरण के लिए एक अच्छी और चैन की नींद प्राप्त करने के लिए सोने की आदर्श दिशा कौन-सी है? बच्चों को किस दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए? किस दिशा में धन रखने से अधिक धन को आकर्षित किया जा सकता है।
उदाहरण- दक्षिण दिशा मंगल ग्रह की है। मंगल ग्रह अग्नि, जोश, लाल रंग, सुरक्षा, पुलिस कस्टम एवं कर वसूली विभाग को दर्शाता है। यदि नीले कलर का पानी का टैंक आपके घर या ऑफिस में दक्षिण दिशा में है तो आप दुर्घटनाओं (वाहन या अग्नि के द्वारा), पुलिस या अन्य विभागों द्वारा उत्पीड़न के रूप में संकटों को झेल रहे होंगे।
वास्तु शास्त्र में दिशाओं के अनुसार सफलता और उन्नति सुनिश्चित की जा सकती है। इसी आधार पर वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए भवनों को डिजाइन किया जाता है। एक बार जब आपके लिए ऐसा कर दिया जाता है तब आप कभी भी अपने जीवन में दिशाहीन या भटका हुआ महसूस नहीं करते। अन्यथा आप दुविधाओं और भ्रम में रहते हैं। कर्मों के इच्छित परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने समय, पैसे और मानसिक ऊर्जाओं की बर्बादी करते हैं।
आज से कई हजार वर्ष पहले एक आदमी का जीवन जिस प्रकार संचालित होता था उसके आधार पर इन दिशा क्षेत्रों की गतिविधियां वास्तु शास्त्र में लिखी गई हैं। जो कुछ भी आपके जीवन में घटित हो रहा है उसका संबंध किसी न किसी दिशा से है। और उसका प्रत्यक्ष प्रमाण तब दिखता है जब आपको समस्या होती है और समस्या से संबंधित दिशा में आप ठीक वही कारण पाते हैं। जैसे ही आप इन कारणों को वहां से हटा देते हैं तो आपके जीवन में भी यह समस्या दूर हो जाती है।
उदाहरण के लिए- धन और अवसर के दिशा क्षेत्र उत्तर में जब कूड़ेदान को रखा जाता है तो यह कॅरियर में नए विकल्पों की प्राप्ति में रोड़े अटकता है। नौकरी ढूंढ़ने वाले नए लोगों के रास्ते में भी यह बाधा उत्पन्न करता है। व्यापारियों के लिए इस दिशा में रखा कूड़ादान पुराने ग्राहकों के साथ रिश्ते को बाधित करता है, नए ऑर्डर को रोकता है और पेमेंट रिकवरी में भी कांटे उगाता है।