करवा चौथ का दिन हर सुहागिन महिला के लिए बेहद खास होता है। यह दिन पति-पत्नी के अटूट प्रेम को समर्पित है। इस दिन सुहागिन महिलाऐं अपने पति के लिए व्रत रखती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। इस बार करवा चौथ 4 नवंबर (बुधवार) को है। करवा चौथ के दिन महिलाएँ सूर्योदय से ही निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चाँद देखने के बाद ही अपने अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन महिलाऐं सजती-संवरती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। हिंदू सभ्यता के अनुसार करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है।
करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर सुहागिन महिला के लिए सोलह श्रृंगार बेहद शुभ और जरुरी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल से ही महिलाऐं अखंड सौभाग्य के लिए सोलह श्रृंगार करती हैं। मान्यताओं के अनुसार सोलह श्रृंगार करने से घर में सुख और समृद्धि आती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सोलह श्रृंगार सिर्फ महिला की खूबसूरती ही नहीं भाग्य और प्रतिष्ठा को भी बढ़ाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिला को सोलह श्रृंगार करने के बाद ही करवा चौथ की पूजा करनी चाहिए। सोलह श्रृंगार में सिर से लेकर पैर तक कुछ ना कुछ सुहाग की निशानी शामिल होती है। आइए जानते हैं कि सोलह श्रृंगार कौन से हैं -
सिंदूर
बिंदी
मंगलसूत्र
मांग टीका
काजल
नथनी
कर्णफूल/ईयररिंग
मेंहदी
कंगन या चूड़ी
लाल रंग के वस्त्र
बिछिया
पायल
कमरबंद
अंगूठी
बाजूबंद
गजरा
करवा चौथ पूजा थाली में होनी चाहिए ये सामग्रियां
देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार करवा चौथ की पूजा होती है। करवा चौथ के दिन भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गणेश के साथ चंद्रमा की विशेष रूप से पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन पूजा में कुछ विशेष पूजन सामग्रीयों का होना बेहद जरूर है। आइए जानते हैं कि करवा चौथ में क्या पूजन सामग्री जरूरी होती है -
करवा चौथ माता की पूजा के लिए उनकी तस्वीर होना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही पूजा के लिए अबीर, गुलाल, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, कलावा, जनेउ जोड़ा, फूल, अक्षत (चावल), चंदन, इत्र, अगरबत्ती और नारियल होना चाहिए।
करवा चौथ की पूजा में सींक का विशेष माथव है। सींक भी माता के शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही पूजन सामग्री में करवा होना बहुत जरूरी है।
करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन के लिए छलनी और अर्घ्य देने के लिए करवे में जल होना चाहिए। पूजा की थाली में फल, फूल, सुहाग का सामान, दीपक और मिठाई होनी चाहिए।