हिंदू धर्म में ऐसे कई व्रत होते हैं जो माताएं अपने बच्चों के लिए रखती हैं। उनमें से सकट चौथ के व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाऐं निर्जला व्रत रखती हैं और अपनी संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए कामना करती हैं। यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है और तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। इसे संकटा चौथ, संकष्टी और तिलकुट चौथ आदि नामों से जाना जाता है। इस बार सकट चौथ 21 जनवरी 2022 को है। आज के इस लेख में हम आपको सकट चौथ का महत्व और पूजन विधि बताएंगे -
क्यों रखा जाता है सकट चौथ व्रत?
सकट चौथ का व्रत संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। इसे संकट हरने वाली गणेश चतुर्थी भी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा के बाद शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत तोड़ा जाता है। इस दिन चन्द्रमा को दूध में शहद, रोली, चंदन और रोली डालकर अर्घ्य देना चाहिए।
सकट चौथ पूजन विधि
सकट चौथ के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और लाल वस्त्र धारण करें।
पूजन स्थल को साफ करके एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ और इस पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
अब गणेश जी की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़कें और उन्हें रोली, अक्षत, दूर्वा और फूल चढ़ाएं।
इसके बाद गणेश जी को पान, सुपारी और लड्डू का भोग लगाएँ।
गणेश जी की धूप-दीप से पूजा करें और आरती उतारें।
सकट चौथ में भगवान गणेश की पूजा के बाद रात में चन्द्रमा को कुश से अर्ध्य दिया जाता है।
इस दिन तिल को भूनकर गुड़ के साथ कूट लिया जाता है और तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है। कहीं-कहीं तिलकुट का बकरा भी बनाया जाता है। उसकी पूजा करके घर का कोई बच्चा तिलकूट बकरे की गर्दन काटता है। फिर सबको उसका प्रसाद दिया जाता है। पूजा के बाद सब कथा सुनते हैं।
पूजा के बाद महिलाऐं दूध और शकरकंद खाकर अपना व्रत खोलती हैं। सकट चौथ में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।