पहली बार रखने जा रही हैं जीवित्पुत्रिका व्रत तो नोट कर लें पूजन की विधि

By Ek Baat Bata | Sep 17, 2021

हिंदू धर्म में संतान के सुख और मंगलकामना के लिए कई व्रत किए जाते हैं। इनमें से ही एक है जीवित्पुत्रिका व्रत। इस व्रत को जितिया, जिउतिया और जीमूत वाहन व्रत भी कहा जाता है। इस दिन माताएँ अपनी संतान की सुख-समृद्धि और दीर्घ आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा। यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत सबसे पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा से शुरू होती है। इसके अगले दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और तीसरे दिन यानी व्रत के आखिरी दिन पारण किया जाता है। आज के इस लेख में हम आपको जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजन विधि बताने जा रहे हैं -

जीवित्पुत्रिका व्रत पूजन विधि
जीवित्पुत्रिका व्रत के पहले दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर, स्नान करके पूजा-पाठ करती हैं। पूजा करने के बाद महिलाएँ एक बार भोजन ग्रहण करती हैं और उसके बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रखती है। नहाय-खाय के दिन बिना लहसुन-प्याज और नमक का भोजन किया जाता है। इस दिन भात, मंडुआ के आटे के रोटी और नोनी का साग खाने का महत्व है। 

इसके बाद अगले दिन महिलाएँ सुबह स्नान करके पूजा-पाठ करती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत के तीसरे और अंतिम दिन सूर्योदय के बाद पूजा-पाठ करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन प्रदोषकाल में महिलाएं जीमूतवाहन की पूजा करती है। इस दिन कुशा से निर्मित जीमूतवाहन की प्रतिमा की पूजा की जाती है। पूजन करने के लिए जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाकर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। पूजन करने के बाद महिलाऐं जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनती हैं। मान्यता है कि जीवित्पुत्रिका व्रत कथा सुनने से संतान की आयु लंबी होती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन दान-दक्षिणा देने से विशेष फल प्राप्त होता है।