महाशिवरात्रि पर इस आसान विधि से करें पूजन, भगवान शिव की पूजा में इन बातों का रखें ध्यान
By Ek Baat Bata | Mar 01, 2021
हर साल देश में महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी आस्था और धूम-धाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को सबसे प्रसन्न होने वाला देवता माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि महाशिवरात्रि पर आसान विधि से पूजा कैसे करें। इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि महाशिवरात्रि पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए -
महाशिवरात्रि पूजन विधि-
- महाशिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प करें।
- इस दिन शिवलिंग का पवित्र जल या दूध से अभिषेक अवश्य करें।
- भगवान शिव का चंदन से तिलक करें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, आक के फूल, धतूरे के फूल, धतूरा, मांग आदि चीजें अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान शिव की आरती करें।
- पूजा के बाद शिवपुराण, महामृत्युंजय मंत्र या शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें।
- महाशिवरात्रि को रात्रि जागरण का विशेष महत्व है।
- पूजा के बाद पारण मुहूर्त में महाशिवरात्रि के व्रत का पारण करें।
महाशिवरात्रि के दिन इन बातों का ध्यान रखना चाहिए -
- भगवान शिव जी की पूजा में टूट हुए अक्षत भूलकर भी नहीं चढ़ाने चाहिए। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध माना जाता है इसलिए शिव जी की पूजा में उपयोग होने वाले अक्षत साबुत होने चाहिए।
- महाशिवरात्रि पूजा पर भगवान शिव को भूल से भी तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए। हिंदू धर्म के अनुसार सभी शुभ कार्यों और पूजा में तुलसी का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। लेकिन भगवान शिव पर तुलसी अर्पित करना मना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी माता का संबंध भगवान विष्णु से है।
- भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र अवश्य अर्पित करना चाहिए। बेलपत्र भगवान शंकर को अतिप्रिय है। महाशिवरात्रि को भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
- भगवान भोलेनाथ की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उसके भस्म होने के बाद उसकी हड्डियों से शंख बना था। यही कारण है कि भोलेनाथ की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित है।
- महाशिवरात्रि के दिन पूजा के लिए हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठना चाहिए।