Lata Mangeshkar Birth Anniversary: सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर ने ऐसे बनाई इंडस्ट्री में जगह, हमेशा के लिए अमर हो गई आवाज

By Ek Baat Bata | Sep 28, 2024

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लता मंगेशकर एक ऐसा नाम है, जो अमर हो चुका है। लता मंगेशकर की आवाज कई पीढ़ियों तक संगीत प्रेमियों को सुकून देती रहेगी। लता के जैसा न कोई था और न कोई होगा। आज भी लोग लता जी के गानों को सुनना व गुनगुनाना पसंद करते हैं। बता दें कि लता मंगेशकर को 'स्वर कोकिला' भी कहा जाता है। आज ही के दिन यानी की 28 सितंबर को स्वर कोकिला लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। उन्होंने बेहद कम उम्र से ही अपने परिवार की जिम्मेदारियां अपने कंधों पर उठा ली थीं। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में 28 सितंबर 1929 को लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर था। वह अपने घर की बड़ी बेटी थीं और इनके पिता रंगमंच के एलजी कलाकार और गायक थे। लता के बचपन का नाम हेमा था। जब लता जी महज 13 साल की थीं, तो इनके सिर से पिता का साया उठ गया। ऐसे में परिवार में पैसों की किल्लत शुरू हो गई। जिसके कारण लता मंगेशकर को घर चलाने के लिए कम उम्र से ही हिंदी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा।

फिल्में
साल 1942 में आई फिल्म 'पाहिली मंगलागौर' में लता मंगेशकर बतौर अभिनेत्री नजर आई थीं। इस फिल्म में उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई थी। जिसके बाद उन्होंने कई फिल्मों जैसे चिमुकला संसार, माझे बाल, गजभाऊ, जीवन यात्रा, बड़ी मां, मांद और छत्रपति शिवाजी में अभिनय किया। 

फिल्मों में गानों की शुरूआत
बता दें कि साल 1949 में लता मंगेशकर ने फिल्म 'महल' में 'आएगा आनेवाला' गीत गाया। इस गाने को अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था। वहीं लता के लिए मधुबाला लकी साबित हुईं न सिर्फ इस फिल्म बल्कि गीत को भी काफी पसंद किया गया। इसके बाद लता जी सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं और उनको फिर पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी।

हालांकि जैसे-जैसे लता मंगेशकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही थीं। वैसे-वैसे उनसे जलने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही थी। जलन के कारण लता जी को जहर दे दिया गया। जहर की वजह से लता मंगेशकर तीन महीने बिस्तर पर रहीं।

पं. नेहरु की आंखों में आए आंसू
जब चीन के हमले के बाद 26 जनवरी 1963 को लता मंगेशकर ने सभी लोगों के सामने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत गाया। तब लता द्वारा गाए गीत को सुनकर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की आंखें भर आई थीं। लता मंगेशकर की आवाज में जादू था, उनके गीत सुनकर लोग उसमें खो जाते थे।