आज ही के दिन यानी 05 सितंबर को भारत रत्न से सम्मानित मदर टेरेसा का निधन हो गया था। मदर टेरेसा को ममता, त्याग, मानवता और शांति की मिसाल थीं। उन्हें ममता की मूरत कहा जाता है। उनकी नाम के साथ ही मां शब्द जुड़ा है और उनमें वात्सल्य और स्नेह कूट-कूटकर भरा था। बहुत कम उम्र से ही मदर टेरेसा ने लोगों की सेवा करने का जिम्मा उठा लिया था। वह प्रेम और शांति की दूत थी। वह प्रेम और मनवता को भी जीवन का आधार मानती थीं। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर मदर टेरेसा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
यूगोस्लाविया में 26 अगस्त 1910 को मदर टेरेसा का जन्म हुआ था। उनका असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। महज 18 साल की उम्र में एग्नेस गोंझा बोयाजिजू ने दीक्षा लेकर सिस्टर टेरेसा बनीं थीं। वहीं साल 1929 में मदर टेरेसा भारत आ गईं और शिक्षण कार्य करने लगीं।
सेवा कार्य
बता दें कि कोलकाता में पढ़ाने के दौरान मदर टेरेसा का मन गरीबी को देखकर विचलित हो गया। जिसके बाद वह गरीबों की बस्ती में जाकर लोगों की सेवा कार्य करने लगीं। मदर टेरेसा का मानना था कि मानवता की सेवा ही जीवन का व्रत होना चाहिए। वह पूरी जिंदगी मानवता की सेवा में लगी रहीं और इसके लिए उन्होंने कई देशों की यात्रा की थी।
लोगों की सेवा करने के लिए 07 अक्तूबर 1950 को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी। इस चैरिटी के जरिए वह गरीबों, बीमार और अनाथ लोगों की सेवा में जुटी रहीं। वहीं साल 1948 में उन्होंने अपनी इच्छा भारत की नागरिकता ली थी। मिशनरीज के माध्यम से मदर टेरेसा ने उस समय समाज में बहिष्कृत समझे जाने वाले कुष्ठ और तपेदिक जैसे रोगियों की जी जान से सेवा की थी।
नोबेल पुरस्कार
साल 1979 में मदर टेरेसा के सेवा कार्यों को देखते हुए उनको नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लेकिन उन्होंने इसकी प्राइज मनी को लेने से इंकार कर दिया। इस पैसे को मदर टेरेसा ने भारत के गरीब लोगों में दान करने के लिए कहा था। साल 1980 में भारत सरकार ने मदर टेरेसा को सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया था। रोमन कैथोलिक चर्च ने उनको कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा था।
मदर टेरेसा ने लोगों के इलाज और गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए 'निर्मला शिशु भवन' और 'निर्मला हृदय' नाम से आश्रम स्थापित किए। एक रिपोर्ट के मुताबिक मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं 130 देशों में फैलकर 700 मिशन स्थापित कर चुकी हैं। साल 2012 में संयुक्त राष्ट्र ने मदर टेरेसा के सेवा कार्यों को देखते हुए उनकी पुण्यतिथि को इंटरनेशनल चैरिटी डे मनाने का फैसला किया।
मृत्यु
बता दें कि 05 सितंबर 1997 को दिल का दौरा पड़ने से मदर टेरेसा का निधन हो गया था। उन्होंने अपना पूरा जीवन बीमार, अनाथ, असहाय और गरीबों की सेवा में लगा दिया था।