Neerja Bhanot Death Anniversary: जान की परवाह किए बिना नीरजा भनोट ने बचाई थी 360 यात्रियों की जान, जानिए रोचक कहानी
By Ek Baat Bata | Sep 05, 2024
आज ही के दिन यानी की 05 सितंबर को भारत की बहादुर बेटी नीरजा भनोट की हत्या कर दी गई थी। दरअसल, इन्हें आतंकियों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। भारत ने नीरजा भनोट को सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'अशोक चक्र' और पाकिस्तान ने 'तमगा-ए-इंसानियत' से नवाजा था। वहीं भारत सरकार ने नीरजा के नाम पर डाक टिकट भी जारी किया था। बता दें कि भारत की इस बेटी की मौत पर पाकिस्तान ने भी आंसू बहाए थे। आज भी लोग नीरजा भनोट को मिसाल के तौर पर याद करते हैं। वह बेहद साहसिक महिला थीं। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर नीरजा भनोट के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
चंडीगढ़ में 07 सितंबर 1964 को नीरजा भनोट का जन्म हुआ था। उन्हें बचपन से ही प्लेन में बैठने और आकाश में उड़ने की इच्छा थी। वहीं साल 1985 में नीरजा की शादी हो गई, लेकिन दहेज के दबाव की वजह से उनके रिश्तों में खटास आ गई थी। जिस कारण वह शादी के दो महीने बाद ही मुंबई वापस आ गईं और साल 1986 में मॉडल के तौर पर टीवी और प्रिंट ऐ़ड करना शुरूकर दिया। इसके बाद उन्होंने एयरलाइंस ज्वाइन कर लिया।
प्लेन हाईजैक
बता दें कि 05 सितंबर को पाकिस्तान के करांची हवाई अड्डे पर अमेरिकी एयरवेज का विमान पैन एम 73 करीब 380 यात्रियों को लेकर पायलट का इंतजार कर रहा था। तभी प्लेन में चार हथियारबंद आतंकवादी घुस आए और सभी यात्रियों को गन प्वाइंट पर ले लिया। आतंकियों ने पाकिस्तान सरकार से पायलट को प्लेन में भेजने की मांग की। जिससे कि वह अपने मुताबिक प्लेन को ले जा सकें। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इसके लिए इंकार दिया।
इंकार करने पर गुस्साए आतंकियों ने प्लेन में बैठे अमेरिकी यात्रियों को मारने का फैसला किया और अमेरिका के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाह रहे थे। लेकिन आतंकियों को यह नहीं मालूम था कि इस विमान की 23 साल की अकेली लड़की उन पर भारी पड़ जाएगी। आतंकियों ने नीरजा को बुलाकर विमान में बैठे सभी यात्रियों से पासपोर्ट एकत्र करने के लिए कहा। जिससे कि वह अमेरिकी यात्रियों को मार सकें। लेकिन नीरजा ने सभी के पासपोर्ट छिपा लिए, जिससे आतंकी और भी तिलमिला उठे।
तभी एक अंग्रेज को आतंकी खींचकर विमान के गेट पर ले आए और गोली मारने की तैयारी करने लगे। तभी नीरजा ने कार्यकुशलता का परिचय देते हुए आतंकियों का ऐसा दिमाग घुमाया कि उन्होंने उस अंग्रेज को छोड़ दिया। इधऱ आतंकियों और पाकिस्तान सरकार में लगातार खींचतान चलने लगी। वहीं 380 डरे हुए यात्रियों में सिर्फ नीरजा भनोट आतंकियों से भिड़ी रही। नीरजा ने करीब 16 घंटे पर हिम्मत से काम लिया।
जब नीरजा भनोट को ख्याल आया कि प्लेन का ईंधन खत्म होने वाला है। ईंधन खत्म होने पर विमान में अंधेरा हो जाएगा और भगदड़ मच जाएगी। इस पर नीरजा ने आतंकियों को खाने का सामान दिया और यात्रियों को आपातकाल खिड़की के बारे में जल्दी से समझाया। तभी प्लेन का ईंधन खत्म हो गया और चारों ओर अंधेरा छा गया। बता दें कि आतंकी विमान को 9/11 की तरह इजराइल में किसी निर्धारित जगह पर क्रैश कराना चाहते थे। लेकिन फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट ने अपनी सूझबूझ के कारण ऐसा नहीं होने दिया।
मृत्यु
बता दें कि करीब 17 घंटे तक प्लेन में चले इस खून खराबे में 20 लोगों की जान चली गई और नीरजा भनोट शहीद हो गईं। पाकिस्तान की धरती पर दुनियाभर के 360 लोगों की जान बचाने वाली बहादुर बेटी नीरजा को पाकिस्तान भी सैल्यूट करता है। 05 सितंबर को शहीद होने वाली नीरजा दो दिन बाद अपना 23वां जन्मदिन मनाने वाली थीं।