द करगिल गर्ल में जाह्नवी कपूर देश की पहली एयरफोर्स महिला ऑफिसर की भूमिका में नजर आएंगी। लेकिन जिस गुंजन सक्सेना पर ये फिल्म बन रही है वो आखिर है कौन उन्होंने देश के लिए क्या काम किया है ये बहुत कम लोग ही जानते हैं। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे गुंजन सक्सेना के जज्बे और शौर्य की कहानी के बारे में।
पांच साल की उम्र में गुजन ने पहली बार कॉरपिट देखा था और तभी उनहोने ठान लिया था एक दिन वह देश के लिए फाइटर जेट उड़ाएंगी। आपको बता दें कि गुंजन सक्सेना के पिता और भाई भी सेना में थे। गुंजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। उस दौरान उन्होंने महिला पायलटों की भर्ती के लिए अप्लाई किया और एसएसबी पास कर वायुसेना में शामिल हो गईं।
ये उस वक्त की बात है जब महिलाओं को वॉर जोन में जाने की इजाजत नहीं थी और ना ही फाइटर प्लेन उड़ाने की इजाजत थी। लेकिन 1999 में करगिल युद्ध में गुंजन सक्सेना ने ऐसा कारनामा कर दिखाया जो शायद उस समय किसी महिला के लिए कर पाना नामुमकिन था। दरअसल, जब युद्ध हो रहा था तो वायुसेना को पायलटों की तत्काल जरूरत थी और तभी भारतीय वायुसेना ने महिला पायलटों को बुलाया।
उस समय उस दौर में सबसे आगे गुंजन सक्सेना थीं। आपको बता दें की उन्होंने लड़ाई के दौरान कई घायल सैनिकों की जान बचाई और सैन्य साजो सामान को सीमा पर ले जाने का काम किया। गुंजन सक्सेना को साहस और बहादुरी भरे काम के लिए भारत सरकार की ओर से शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के जरिए भारत को करगिल युद्ध में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। पायलटों ने 32,000 फीट की ऊंचाई से घुसपैठियों पर हमला किया था और उन पर आग बरसाई थी। इस ऑपरेशन के दौराम गुंजन सक्सेना ने अपने विमान से करगिल के युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरी थी और दुश्मनों को धूल चटाया था, और इतिहास के पन्नो में स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम लिखवाया था।